This novel is not for innocent girls so you all should stay away from it. If you want to sacrifice yourself to the devil then welcome. prologue एक मना हुआ रिश्ता। एक खतरनाक खेल। और एक ऐसा प्रोफेसर… जिसकी छाया में मैं चार साल से जी रही हूँ। डॉ. अद्विक राणा — मनोविज्ञान विभाग के सबसे सम्मानित और रहस्यमय प्रोफेसर। उनकी उम्र मुझसे लगभग दुगुनी, पर उनकी नज़र… जैसे मेरी रूह तक उतर जाए। वो मेरे लिए सिर्फ टीचर नहीं, एक ऐसा राज़ हैं जिसे मैं अपने दिल में छुपाए फिरती हूँ। मना किए गए। पहुंच से बाहर। लेकिन जितना मैं उन्हें समझने की कोशिश करती, उतना ही उनके रहस्य में उलझती जाती। मेरा विषय था विकृत मानसिकताओं का अध्ययन — लोगों की छिपी हुई इच्छाएँ, उनकी हदें, और वो अँधेरे कोने जहाँ उनकी सोच भी जाने से डरती है। मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं खुद इस दायरे में आ जाऊँगी। लेकिन डॉ. राणा के पास एक थ्योरी है — और वो चाहते हैं कि मैं उनकी चुनी हुई “विषय” बनूँ। उनका मानना है कि अँधेरा सिखाया नहीं जाता, वो पहले से हमारे भीतर होता है। बस किसी के सही समय पर उसे जगाने की देर होती है। और वो ये साबित करने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं। ये रिश्ता हमारी ज़िंदगी बर्बाद कर सकता है। ये खेल मेरी रूह तोड़ सकता है। पर असली सवाल ये नहीं कि वो मुझे कितनी दूर तक धकेलेंगे… बल्कि ये है कि मैं खुद को कितनी दूर जाने दूँगी। → Professor × Student → Age Gap → University Romance → Grumpy × Sunshine → Explicit Sexual Content → Domination & Submission → Secret Relationship **** बारिश हो रही थी। खिड़की के शीशों पर पानी की बूंदें लगातार फिसल रही थीं, जैसे किसी अनसुनी धुन पर नाच रही हों। क्लासरूम में सिर्फ हम दोनों थे — मैं और वो। *डॉ. अद्विक राणा।* मेरी साँसें तेज़ थीं, पर वजह ठंड नहीं थी। वो अपनी डेस्क के पीछे खड़े, काली शर्ट की बाँहें मोड़े, मुझे ऐसे देख रहे थे जैसे किसी किताब का सबसे ख़तरनाक पन्ना खोल दिया हो। "तुम जानती हो, मिस…" उनकी गहरी, धीमी आवाज़ ने हवा को चीर दिया, "मेरी *subjects* में एक नियम होता है — यहाँ से वापस जाने का रास्ता नहीं होता।" मैंने होंठ भींच लिए। आँखें उनसे हटानी चाहीं, पर उनकी नज़र ने मुझे जकड़ रखा था। "और अगर मैं न चाहूँ?" मेरे लहजे में काँप था, मगर वो काँप डर का नहीं… कुछ और का था। उनके होंठों पर हल्की-सी मुस्कान उभरी — वो मुस्कान जो चेतावनी भी थी और वादा भी। "तो फिर तुम जानती हो, *sunshine*…" उन्होंने एक कदम आगे बढ़ाया, "ना चाहने का मतलब होता है कि तुम चाह चुकी हो। बस… मानने से डर रही हो।" बाहर बादल गरजे। अंदर मेरे सीने में कुछ और गरज उठा। ये रिश्ता मना हुआ था। ये खेल खतरनाक था। और मैं… अपनी ही बनाई हुई सीमा पार करने वाली थी।
Story
Bound to the Devil Professor


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